ये कैसा विकास है
ये जो फोटो आप देख रहे हैं इसमें मेरे साथ जो सज्जन हैं उनका नाम श्री विजय सिंह है और मैं अभी दिल्ली में जहाँ रुका था ये उसी कॉलोनी में एक सिक्योरिटी एजेंसी के माध्यम से गार्ड की नौकरी कर रहे हैं. कल सुबह जब मैं अपनी कार में बैठ रहा था तो मेरी इनसे दुआ-सलाम हुई तो इन्होंने मुझसे अपनी कहानी बताई जो इस विकासशील देश के हर प्रबुद्ध नागरिक को जाननी चाहिए. विजय सिंह जी ने मुझको बताया कि ये कलकत्ता (अब कोलकाता) में साड़ी प्रिंटिंग की एक फैक्ट्री के मालिक थे और इनका सालाना टर्नओवर 30-40 लाख रुपये के करीब था.इनकी फैक्ट्री में लगभग 14-15 लोग काम करते थे अर्थात इन्होंने अपनी फैक्ट्री के माध्यम से लगभग 14-15 लोगों को रोजगार भी दे रखा था.जब देश में GST लागू हुआ तो वो इन जैसे अनेकों लघु उद्यमियों के लिए बर्बादी का पैगाम लेकर आया.हुआ ये कि इन लोगों को जो भी कच्चा माल रंग आदि लेना होता वो तो जीएसटी देकर लेना पड़ता किन्तु इस कानून के अनुसार 80 लाख तक की सालाना बिक्री तक जीएसटी की छूट होने के कारण इन लोगों को आगे अपना माल बेचने पर पहले से दिए गए जीएसटी की छूट नहीं मिल पाती थी जिसके परिणामस्वरूप बिक्री के