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इलाहाबाद विश्वविद्यालय:चिंताएं और सुझाव

इलाहाबाद विश्वविद्यालय:चिंताएं और सुझाव इलाहाबाद विश्वविद्यालय देश के आधुनिक समय के प्राचीनतम शिक्षण संस्थानों में एक अलग स्थान रखता है.इस विश्वविद्यालय का एक गौरवपूर्ण अतीत रहा है.अभी कुछ समय पहले मैंने फेसबुक पर अपने इस विश्वविद्यालय के विषय में एक आलेख पढा जिसमें इसके उसी गौरवपूर्ण अतीत की चर्चा की गयी थी और इसकी वर्तमान स्थिति पर चिंता भी व्यक्त की गयी थी.मैं स्वयं को सौभाग्यशाली समझता हूँ कि मैं इस विश्वविद्यालय का छात्र रहा और मेरे लिए यह भी एक उल्लेखनीय और गर्व की बात है कि मैं अपने परिवार की चौथी पीढ़ी का सदस्य था जो लोग लगातार पीढ़ी दर पीढ़ी इसी विश्विद्यालय के छात्र रहे.पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार के अनेकों सदस्यों के अलावा मेरे बाबा के चाचा दीवान बहादुर जानकी प्रसाद जी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से M.A.(English) और LLB की डिग्री ली,मेरे बाबा स्व0 सुशील चंद्र जी ने B.Sc.और LLB,मेरे पिताजी श्री अशोक चंद्र चतुर्वेदी जी ने M.A.(Med.History) और मैंने स्वयं M.A. (Mod.History) की डिग्री ली.अपने इस पारिवारिक पुश्तैनी रिश्ते को मैं यहीं तक कायम रख पाया क्योंकि मेरी सन्तानों ने इलाहाबाद विश्वविद

दादाजी बनारसी दास जी का पत्र बाबा सुशील चंद्र जी को

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आज बाबा स्व0 सुशील चंद्र जी के पुराने कागजों को व्यवस्थित करने के क्रम में एक और अनमोल खजाना हाथ लगा.इसमें दादाजी स्व0 बनारसी दास जी का एक पत्र,एक लेख और उनसे सम्बन्धित अखबार में छपी एक खबर की कटिंग है. दादा जी बनारसी दास जी और मेरे बाबा सुशील चन्द्र जी लगभग हमउम्र थे और उनमें कौन बड़ा है और कौन छोटा इस पर चर्चा चलती रहती थी.नीचे दादा जी से सम्बंधित पत्रादि की फोटो लगा रहा हूँ:- 1.दादा जी ने बाबा सुशील चन्द्र जी को पत्र लिखा है,उस समय दादा जी राज्यसभा के सदस्य 'सांसद' थे और 1962 के इस पत्र में वो लिख रहे हैं कि उनके राजधानी में बन्दी रहने के अब दो वर्ष और 23 दिन ही बचे हैं अर्थात उनके राज्यसभा के सदस्य के रूप में उनका दूसरा कार्यकाल समाप्त होने के जो 23 अप्रेल 1964 को पूरा हो रहा था.उन्होंने यह भी लिखा है कि उनका दिल वहाँ नहीं लगता है.यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि जब नेहरू जी ने उनसे राज्यसभा का सदस्य बनाने का प्रस्ताव रखा था तो दादा जी ने कहा था कि "लेकिन मैं अपना दोपहर का सोना नहीं छोडूंगा" और ऐसा ही हुआ भी.दादा जी ने बाबा के 'बापू' और 'बिनोवा जी' के व