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बालमिठाई

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बाल मिठाई पिछले लेख में मैंने चर्चा की थी इटावा की हेशमी की और आज चर्चा कर रहा हूँ उत्तराखंड/कुमाऊँ/अल्मोड़ा की बाल मिठाई की. बालमिठाई से हमारा परिचय हमारे बचपन से ही है क्योंकि हमारे स्व0 गजेंद्र फूफाजी हल्द्वानी की स्टार पेपर मिल में कार्यरत थे और हमारी कृपा बुआ जब भी आतीं तो बालमिठाई अवश्य लाती थीं. दरअसल इस चर्चा के करने के पीछे मेरा उद्देश्य है कि हमारी संस्कृति,विरासत आदि का बहुत बड़ा कैनवास है और बहुत सारी चीजें हर काल में एक साथ हो रही होती हैं मसलन एक ओर बड़े-बड़े होटल-रेस्टोरेंट हैं,मैक्डोनाल्ड्स,पीत्जा हट,डोमिनोज़ हैं,हल्दीराम और बीकानेरवाला हैं जहाँ एक से एक बढ़िया,नयी और सजावटी खान-पान के व्यंजन,मिठाइयां आदि उपलब्ध हैं तो साथ में ट्रैडीशनल मिठाइयां जैसे जलेबी,इमरती,बालूशाही, गुलाब जामुन भी उपलब्ध हैं और अन्य व्यंजन भी किन्तु इस सबके साथ ही कुछ इलाकाई,ट्रैडीशनल व्यंजन/मिठाइयां भी हैं जो बन भी रही हैं, बिक भी रही हैं और साथ ही साथ अपने अस्तित्व को बचाने का संघर्ष भी कर रही हैं।आगे किसी पोस्ट में मैं ऐसी लगभग समाप्तप्रायः मिठाइयों/व्यंजनों की चर्चा भी वक़्त-वक़्त पर करूंगा जो अब बहुत