राजा रामचंद्र का राजनैतिक कौशल
भगवान श्री राम का मैं भी अनन्य भक्त एवं उपासक हूँ और इस पर मुझे गर्व है परन्तु जो भगवान राम के नाम पर राजनीति कर रहे हैं वो भगवान श्री राम के विषय में,राजा राम चन्द्र की काबिलियत के विषय में शायद या तो अधिक जानते नहीं या विचारते नहीं या विचारना चाहते नहीं.. जब भगवान श्री राम ने रावण के विरुद्ध हमले की तैयारी और प्रक्रिया आरम्भ की तो उनको लगा कि वहाँ के स्थानीय लोग इसको (तत्कालीन शैव और वैष्णव धर्मों के ) धर्म युद्ध या धार्मिक इरादों के युद्ध का रूप न दे दें तो राजा रामचन्द्र जी ने लोगों को यह संदेश देने को कि यह युद्ध एक अनाचारी शक्ति/व्यक्ति और उसके खराब कर्मों से भरे अनैतिक और गलत सिस्टम के विरुद्ध है न कि वहाँ की जनता या उसके धर्म के विरुद्ध है,रामेश्वरम में शैव लोगों आराध्य प्रभु शिव जी के लिंग स्वरूप की स्थापना और पूजा-अर्चना की;इसके बाद सिर्फ वहाँ के सिस्टम और उसकी आतंकवादी नुमा सेना से युद्ध लड़ा-न कि जनता से और न जनता को यह महसूस होने दिया कि यह युद्ध उसके विरुद्ध है या इस से उसको कोई तकलीफ होगी बल्कि यह अहसास कराने में सफ़ल रहे कि इस युद्ध में उनकी जीत वहाँ के लोगों के हितों ज