श्री रामनवमी की बधाई
भये प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी, हर्षित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी। ................ ................. सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होई बालक सुरभूपा. आज बात भगवान अथवा राजा-राजकुमार की नहीं अपितु उस बालक की बात है जो जब खेलते थे,रोते थे तो सभी माता पिता की भांति उनके भी माता पिता हर्षित और प्रफुल्लित होते थे।बात उस शिष्य की है जो किशोरावस्था में ही एक साधारण मनुष्य की भांति अपने गुरु विश्वामित्र के साथ जंगलों में जाकर एक तरफ शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तो दूसरी तरफ सात्विक कर्मों,यज्ञों आदि में विघ्न डालने वाले राक्षसों का संहार भी कर रहे थे।बात उस राजकुमार की है जिन्होंने राजा जनक के यहाँ आयोजित स्वयम्वर में कठिन प्रतियोगिता में भाग लेकर, शिवजी का दैवीय धनुष तोड़ कर,न सिर्फ मिथिलानरेश पुत्री राजकुमारी सीता से विवाह रचाया अपितु सारे विश्व को अपने भुजबल कौशल से परिचित कराया। आज उस एक साधारण व्यक्ति की बात है जो नंगे पाँव बियावान जंगल में अपने छोटे भाई और अपनी पत्नी के साथ निकल पड़ा था अपने पिता के वचन के मान के लिए।बात उस साधारण मनुष्य की है जो जंगली जानवरों से भरे भ