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हमारे पूर्वज: स्व0 दुर्गाप्रसाद चतुर्वेदी समय 17वीं शताब्दी

हमारे पूर्वज: स्व0 दुर्गाप्रसाद चतुर्वेदी समय 17वीं शताब्दी फ़िरोज़ाबाद में हम लोगों के परिवार का इतिहास बहुत पुराना है और हमारे परिवार यानी कि सौश्रवस गोत्र (ऋषि विश्वामित्र से सम्बंधित गोत्र)के पुरोहित(अल्ल) वंश के फ़िरोज़ाबाद के चौबे अथवा चतुर्वेदी परिवार के ज्ञात मूल पुरुष हेमराज जी थे जिनका समय मुगल बादशाह अकबर का समकालीन काल बताया जाता है और उनके समय से हमारे इस परिवार का सिजरा (वंश वृक्ष;Family Tree) और इतिहास (कुछ पुश्त दर पुश्त सुनते हुए और काफी कुछ लिखित रूप में) हम परिवारीजनों पर उपलब्ध है.पितृ पक्ष का आरम्भ हो चुका है तो मैंने सोचा कि अपने घर के,अपने समाज के एक ऐसे बुजुर्ग के विषय में लिख कर उनको अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करूं जिनसे जुड़ी इस घटना के अनेकों आयाम हैं. दुर्गाप्रसाद जी हमारे परिवार के मूल ज्ञात पुरुष हेमराज जी के पौत्र छोटेलाल जी के पुत्र थे.फ़िरोज़ाबाद से जुड़े चतुर्वेदी लोगों के लिए यहाँ यह बताना भी उचित होगा कि दुर्गाप्रसाद जी की प्रपौत्री ‘लछा’ का विवाह ‘पुराकन्हेरा’ के लालजीमल के हुआ था और बाद में इनकी संतति फ़िरोज़ाबाद की ही निवासी हो गईं.लछा के पौत्र बांकेलाल जी,

Jamali Kamali Mosque,Mehrauli,Delhi

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मेहरौली आर्कियोलॉजिकल पार्क:जमाली-कमाली मस्जिद बलबन के मकबरे को देखने के पश्चात अब मैं, अपनी कार जहाँ एक बाउंड्री के पास खड़ी की थी,वहाँ वापिस आया.कुतुब मीनार के प्रवेश द्वार से लगभग 500 मीटर पर स्थित ये चहारदीवारी जमाली-कमाली मस्जिद और मकबरे की थी.जमाली कमाली मस्जिद के विषय में एक सरसरी तौर पर मैंने अपने पढ़ाई के दिनों में पढ़ा था किंतु इस विषय में मुझको अधिक मालूम न था.उस चारदीवारी के बीच में एक साधारण सा लोहे का दरवाजा था और उस से अंदर घुसते ही एक बहुत बड़ा सा प्रांगण नजर आता है जिसमें कुछ बड़े पेड़ भी हैं.गेट के अंदर घुसते ही बाएं हाथ पर एक लाल पत्थर का स्टैंड जैसा बना है और उस पर काले रंग से इस स्थान के विषय में एक संक्षिप्त जानकारी उत्कीर्ण है जो यह बताती है कि यह मस्जिद और मकबरा शेख फजलुल्लाह या जलाल खान या जमाली से सम्बंधित है.इस मस्जिद का निर्माण 1528-29 में शुरू हुआ और पूरी हुमायूँ के शासन काल में हुयी,मकबरा 1528 में बना,इसका निर्माण  सिकंदर लोधी और हुमायूँ के काल में हुआ.यहाँ जो मकबरा है उसमें दो कब्रें हैं एक जमाली की और दूसरी कमाली की जिनका परिचय अज्ञात है.इसी पत्थर पर इस स्थान