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Showing posts from February, 2023

महाशिवरात्रि

आज महाशिवरात्रि का दिन है और लोग त्योहार मना रहे हैं।मुझको याद आता है जब हम इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के सर गंगा नाथ झा हॉस्टल में रहते थे।हॉस्टल में वैसे तो हर त्योहार काफी धूम-धाम से मनाया जाता था किंतु महाशिवरात्रि की बात ही कुछ और थी।सुबह से सभी इनमेट्स में उत्साह देखते बनता था और शाम का इंतज़ार भी।वैसे तो हॉस्टल में सात्विक,राजसी और तामसी शौक-विचार रखने वाले अनेकों लोगों के अपने-अपने ग्रुप हुआ करते थे लेकिन महाशिवरात्रि की शाम का इंतज़ार सभी को उतने ही भक्तिभाव से रहता था। शाम होने पर हॉस्टल के कॉमन रूम में पूजा होती थी फिर भांग,प्रसाद आदि का वितरण होता था और विशेष आकर्षण रहता था गरमा गरम गुलाब जामुन का।उस समय की धूम,जोश और हो-हुल्लड़ का नज़ारा ही अलग होता था।आज भी सब महाशिवरात्रि के त्योहार को मनाते होंगे,आनन्द भी  आता होगा लेकिन छात्रावास के माहौल और इष्ट-मित्रों के साथ भांग और गुलाब जामुन के साथ का मौज और मजा कुछ और ही था।अब भी जब उन दिनों को याद करते हैं तो मन कहता है कि काश कोई लौटा दे वो बीते हुए दिन.... आप सभी को महाशिवरात्रि पर्व की बधाई! जय साम्बसदाशिव! हर हर महादेव! 🙏🙏

फिरोजाबाद के जिला बनने के 34 साल

आज जब फ़िरोज़ाबाद जनपद की स्थापना के 34 वर्ष पूरे होने पर यह लेख लिखने बैठा हूँ तो मुझको याद आ रहा है 5 फरवरी 1989 का वो दिन और उस दिन का माहौल जब फ़िरोज़ाबाद के टीबी अस्पताल ग्राउंड में मंच से उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी जी (अब स्वर्गीय) ने फ़िरोज़ाबाद को जिला बनाने की घोषणा की थी.मंच से ही उन्होंने जिले के पहले जिलाधीश ऐस0सी0रस्तोगी जी (अब स्वर्गीय) और जिले के पहले पुलिस अधीक्षक श्री अरविंद जैन का परिचय कराया था.मंच पर उस समय के कांग्रेस के सांसद गंगाराम जी(अब स्वर्गीय), जलेसर के सांसद रहे श्री कैलाश यादव,कांग्रेस के विधायक रहे गुलाम नबी साहब, फ़िरोज़ाबाद नगर पालिका के तत्कालीन चेयरमैन (जिले बनने के बाद पहले चेयरमैन) स्व0 श्री अशोक चतुर्वेदी जी,  नगर विधायक रघुवर दयाल वर्मा जी(अब स्वर्गीय), टूण्डला के तत्कालीन विधायक श्री अशोक सेहरा आदि मौजूद थे और सामने था उम्मीदों, आशाओं,आकांक्षाओं और कृतज्ञता से भरपूर फ़िरोज़ाबाद की जनता का अपार जनसमूह. स्व0तिवारी जी ने जब जिला बनाने की घोषणा की तब के हर्षोल्लास से भरे जयकारे आज भी फ़िरोज़ाबाद की फ़िज़ाओं में घूम रहे हैं. फ़िरोज़ाबाद क

कोबरा

"कोबरा" लेप लगा के चंदन का और मीठा दूध पिलाने से कोबरा  विष-हीन बन पाते हैं क्या प्यार से सहलाने से? उतार लबादा अच्छे का, मिलते ही मौका  विष-दंत अपने वो दिखाते हैं अपना जो भी फंस गया बस उसको धीरे से वो डस जाते हैं।। दशकों बिल में सिमटे रहकर, वक़्त के इंतज़ार में हॉं जी- हॉं साहब कह-कह कर, षड्यंत्र अपना रचाते हैं, मीठी-मीठी बातें कर के मृत्यु प्रयोग वो कर जाते हैं याद करो उस वक़्त को , जब फैलाये तुम सबने अपने फन औ फंदे थे, एक असहाय का खून बहा था छत पर  और तुम सबके हाथों  में पिस्तौल और डंडे थे।। दशक बीत गए मीठे-झूठे धोखा तुम्हारा सच्चा है, दाग खून के सूख गए हैं  पर वो कपड़ा अब भी रखा है।। अहसानों की तो बात ही छोड़ो कृतघ्न तो तुम पुराने हो, दुनिया तुमको ना जाने हमारे लिए तुम अब जाने पहचाने हो।। लेप लगा के चंदन का  और मीठा दूध पिलाने से कोबरा विष-हीन बन पाते हैं क्या प्यार से सहलाने से? उतार लबादा अच्छे का, मिलते ही मौका  विष-दंत अपने वो दिखाते हैं। अपना जो भी फंस गया बस उसको धीरे से वो डस जाते हैं।। एक-एक हर्फ लिखा रखा है, सच्चाई जो तुम्हारी कहता है हमको सब पता है कि किस की खाल में