Posts

Showing posts from December, 2022

महाराज जी-1

सुबह-सुबह ठाकुर जी को स्नान करा के अपनी दैनिक पूजा-अर्चना करके महाराज जी अपना सुबह का कलेवा कर रहे थे;अमरूद, सेब,कांसे के बेले में गर्म दूध और साथ में महीन छिली सी कतरनों जैसा गुड़।जाड़ों के दिन में महाराज जी सुबह यही कलेवा करते थे बस फल बदलते रहते थे।सुबह के इस कार्यक्रम को निबटा कर अब महाराज जी जीना उतर के अपने कमरे में आकर अपने तख्त पर बैठ चुके थे अपनी गम्भीर लेकिन अति सौम्य चिंतन मुद्रा में। अपनी उम्र के आठवें दशक के आखिर में पहुँच चुके सामान्य से छोटे कद के महाराज जी गौर वर्ण, गंजे हो चले सर पर उन्नत ललाट,सफेद मूँछें,एक देवता तुल्य तेजयुक्त चेहरा, सादा खद्दर की धोती और सर्दी के दिन होने पर हाथ का बना नेवी ब्ल्यू स्वेटर इस वेशभूषा में वो एक योगी, दिव्यात्मा और महात्मा ही लगते थे और कोई कह नहीं सकता था कि इस योगी व्यक्तित्व के पीछे एक सफल उद्योगपति,अति विद्वान शालीन व्यक्तित्व था जिसने अपने बूते पर 20वीं सदी के दूसरे दशक से अपने साम्राज्य की स्थापना की सफल शुरुआत की थी और जो अब व्यवहारिक रूप से एक घरेलू सन्यास आश्रम वैराग्य अवस्थित जीवन जी रहे थे।इन्हीं महाराज जी को शहर के मुहल्ले वाल

सिद्धांत के लिए मुगल कारवां से लोहा लेने वाले हमारे पूर्वज चौबे दुर्गादास फिरोजाबाद

पिछले कुछ समय से मैं यात्रा वृतान्त, समाज, संस्कृति और इतिहास सम्बंधित लेखन के अलावा श्री माथुर चतुर्वेदी ब्राह्मण समुदाय से संबंधित इतिहास, संस्कृति और विरासत पर भी रिसर्च, लेखन, यूट्यूब सीरीज़ बनाना (चतुर्वेदी हैरीटेज नाम से) आदि काम भी कर रहा हूँ।इसी श्रृंखला में फिरोजाबाद के श्री माथुर चतुर्वेदी पुरोहित वंश के यानी कि अपने परिवार के इतिहास को भी लिपिबद्ध करने का प्रयास चल रहा है। इस प्रक्रिया में बहुत सी रोचक जानकारी मिली है और मिल रही है जैसे राजस्थान के चतुर्वेदी बौहरे बसंत राय ने मुगल सम्राट शाहजहाँ को पैसा उधार दिया था जब वो बादशाह नहीं बना था या मथुरा के चतुर्वेदी पांडे भाइयों ने कैसे मथुरा के काजी को मारा और काजीमार पांडे कहलाये आदि।लेकिन आज आपके सामने किस्सा प्रस्तुत कर रहा हूँ अपने पूर्वज फिरोजाबाद के चतुर्वेदी पुरोहित वंश के चौबे दुर्गा प्रसासाद का जिन्होंने मुगल सम्राट के कारवां से महसूल वसूला था। किस्सा कुछ यूँ है कि:- हमारे पूर्वज: स्व0 दुर्गाप्रसाद चतुर्वेदी समय 16-17वीं शताब्दी  फ़िरोज़ाबाद में हम लोगों के परिवार का इतिहास बहुत पुराना है और हमारे परिवार यानी कि सौश्रवस ग

एंटरटेनमेंट की दुनिया में इलाहाबाद-प्रयागराज से सम्बंधित एक और नौजवान की दस्तक: भव धूलिया

Image
एंटरटेनमेंट की दुनिया में इलाहाबाद-प्रयागराज से सम्बंधित एक और नौजवान की दस्तक:भव धूलिया पिछले कई सालों से मैं यह सोचता हूँ कि  इलाहाबाद या प्रयागराज शहर की खासियत वहाँ की किसी एक चीज में निहित है या फिर वहाँ का माहौल ही ऐसा है कि अगर कोई लगन से मेहनत से किसी काम को करना चाहता है तो इलाहाबाद उसको एक अलग रास्ता दिखाता है और सफलता भी उसके पीछे चलने लगती है। आज मैं आपसे चर्चा करना चाहूंगा इसी इलाहाबाद से जुड़े एक ऐसे नौजवान जिसने इलाहाबाद की विशिष्ट परंपरा का पालन करते हुए एंटरटेनमेंट की दुनिया में ओटीटी प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपनी एक सशक्त पहचान प्रस्तुत की है। मैं बात कर रहा हूँ भव धूलिया की। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रार हुआ करते थे श्री  के पी मोहिले साहब।हमारे परिवार के भी उनसे बहुत घनिष्ठ पुराने संबंध रहे हैं। स्व0 के पी मोहिले साहब के पुत्र स्वर्गीय अशोक मोहिले जी हाई कोर्ट इलाहाबाद में वकील थे। अशोक मोहिले साहब की पुत्री जौली मोहिले के पुत्र हैं भव धूलिया।भव के बाबा जस्टिस के0सी0 धूलिया इलाहाबाद हाई कोर्ट में जज रहे, भव  के पिताजी कैप्टन हिमांशु धूलिया भारतीय नौसेना में अ