हनुमान जी,चामुंडा देवी और हम लोगों की कुलदेवी महाविद्या जी के दर्शन

आज यानी 8 जुलाई 2023,शनिवार का दिन अपने परिवार के इष्टदेव हनुमान जी,चामुंडा देवी और हम लोगों की कुलदेवी महाविद्या जी के दर्शन में व्यतीत हुआ।
चूंकि घर पर सारे बच्चे मौजूद थे तो आज ऐसा कार्यक्रम बन गया।सबसे पहले फिरोजाबाद स्थित बड़े हनुमान जी के मंदिर गए।वहाँ हम सभी परिवारीजन ने दर्शन किये।मंदिर में ज्योतिर्विद पंडित राजीव लोचन मिश्र का आशीर्वाद भी सबको प्राप्त हुआ। पुत्रवधू उपासना को वहाँ लगा वो पत्थर भी दिखाया जो हम लोगों के परिवार के भी हनुमान जी के मंदिर से पुराने जुड़ाव को बताता है।हनुमान जी का फिरोजाबाद स्थित यह सिद्ध स्थल  मंदिर अत्यंत प्राचीन है और कहते हैं कि  इसका एक बार निर्माण/जीर्णोद्धार मराठा राज्य के दौरान तत्कालीन महाराजा सिंधिया ने भी कराया था।एक मान्यता के अनुसार इस मंदिर की स्थापना मराठा शासन के दौरान बाजीराव पेशवा द्वितीय ने की थी। फिरोजाबाद के इतिहास और संस्कृति में इस मंदिर का भिबेक अलग स्थान रहा है।इस मंदिर के विषय में विस्तार से अलग से फिर कभी लिखूंगा।
इसके बाद हम लोग यानी मेरी पत्नी रचना,पुत्र अर्पित,पुत्री ऐश्वर्या, पुत्रवधू उपासना और भतीजा अभीष्ट मथुरा स्थित चामुंडा देवी के मंदिर गए।इस स्थान पर जाकर देवी के दर्शन कर के अपने अंदर एक अलग ऊर्जा का संचार होता प्रतीत होता है। यह एक प्रसिद्ध सिद्ध पीठ है जो मथुरा-वृंदावन मार्ग पर बिड़ला मंदिर के पहले और गायत्री तपोभूमि के सामने स्थित है।यहाँ हमारा जाना मेरे बचपन से रहा है जब हम लोग अपने मम्मी-पापा के साथ जाया करते थे।ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण कालिय दमन के बाद इस मंदिर में दर्शन हेतु गए थे।शाण्डिल्य ऋषि और गुरु गोरखनाथ भी यहाँ आये थे ऐसी चर्चा मिलती है।जब हम लोग बचपन में जाते थे तो यह स्थान लगभग निर्जन और जंगल जैसे में प्रतीत होता था किंतु अब यहाँ अच्छी आबादी हो गयी है।मंदिर परिसर में विष्णु चौबे जी,ज्ञानी जी, आनन्द जी तथा उनके परिवारीजन से मुलाकात हुई और उनके द्वारा किये गए आतिथ्य से हम सभी अभिभूत हुए।
यहाँ से दर्शन लाभ के बाद हम लोग प्रसिद्ध सिद्धपीठ और अपनी कुलदेवी महाविद्या जी के दर्शन करने गए।यहाँ पर श्री राधाबल्लभ चतुर्वेदी पुजारी जी और श्री गोपाल चतुर्वेदी जी से मुलाकात हुयी।
 यह स्थान भी देखते-देखते बहुत अच्छा बन गया है।यह मंदिर एक टीले पर ऊपर जाकर बना हुआ है जहाँ आप को सीढियां चढ़ कर जाना होता है।इस मंदिर से नंद बाबा,यशोदा मैया, बलदाऊ जी, भगवान श्री कृष्ण,पांडव लोग तथा सुदर्शन नामक विद्याधर से जुड़ाव की कहानियाँ बताई जाती हैं।इस मंदिर के सामने ही श्री महाविद्या कुंड भी है।इसी परिसर में एक शिव मंदिर भी है, जो नीचे उतर कर है।इस शिव मंदिर में चार शिवलिंग हैं जिनका आकार अलग-अलग है।वहाँ पर मौजूद एक चतुर्वेदी विद्वान ने बताया कि अलग-अलग आकार के ये शिवलिंग चार युगों अर्थात सतयुग,त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग के प्रतीक हैं और युगों की प्राचीनता के अनुरूप ही शिवलिंगों का आकार है अर्थात सबसे प्राचीन सतयुग का प्रतीक सबसे छोटा है और फिर क्रमशः त्रेता, द्वापर और कलयुग के प्रतीक शिवलिंगों के आकार हैं।
आज अपनी संस्कृति,अध्यात्म और इतिहास से जुड़े ऐसे पवित्र स्थलों पर सपरिवार जाकर एक बहुत अच्छी अनुभूति हुयी।
मथुरा से एक तो हम सभी श्री माथुर चतुर्वेदी जन का निकास है दूसरे यहाँ मेरी स्व0 कृपा बुआ और स्व0 गजेंद्र फूफाजी रहते थे तो उन लोगों से जुड़ी याद आना स्वाभाविक था।उनके अतिरिक्त हम लोगों के परिवार के गुरु परिवार यानी गुरु जी का स्थान भी मथुरा ही है तो अपने गुरु जी प्रसिद्ध विद्वान स्व0 डॉक्टर वासुदेव कृष्ण चतुर्वेदी जी और उनसे जुड़ी बातें भी बहुत याद आईं।

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